ज़िन्दगी हर मोड़ पे प्रश्नचिन्ह लगाती रही,
राहों में हैं दुश्वारियां पल पल ये बताती रही,
जिस भी राह पर हम चले सुलझाने को ज़िन्दगी,
हर वो राह एक उलझन बढाती गई।
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1 comment:
बहुत बढिया मुक्तक है\बधाई।
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