वक्त ने हमको आस्तीन के सांप दिखाए हैं,
दूसरों पे भरोसे मे हमने अपने हाथ जलाये हैं,
हम बैठ कर इंतज़ार करते रहे दुश्मनों का,
पर अब मेरी हस्ती मिटाने दोस्त ही आए हैं।
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