लखनऊ मेरे शहर, मेरे शहर,मेरे शहर,
तेरी मुमताज़ रौनकें, निहार लूँ तो चलूँ,
शीश-ऐ-हर्फ़ में तुझको, उतार लूँ तो चलूँ,
चंद लम्हे सुकून से गुजार लूँ तो चलूँ,
ऐ मुहब्बत तुझे पुकार लूँ तो चलूँ।
* किसी शायर की कलम से
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