सर्दियों की ज़िन्दगी
कूड़ा ज़लाकर हाथ सेकती ठिठुरती ज़िन्दगी,
फटी हुई गुदड़ी लपेटे कंकपाती ज़िन्दगी,
फूस की झोपड़ी मे शीत खाती ज़िन्दगी,
घने कुहरे मे रिक्शे पे ओस खाती ज़िन्दगी,
और भी है ज़िन्दगी ,
चाय के कप मे चुश्कियाँ लगाती ज़िन्दगी,
कोयले की अंगीठी पे हाथ सेकती ज़िन्दगी,
रजाई के लिहाफ मे लिपट के सोती ज़िन्दगी,
गर्म कपडे पहन के कमरे मे सिमटी ज़िन्दगी.
एक यह भी ज़िन्दगी,
ठंढी बियर की बोतल से जाम लड़ाती ज़िन्दगी,
कार के शीशे से धुंध हटाती ज़िन्दगी,
गर्म हीटर जलाकर पार्टियाँ मनाती ज़िन्दगी,
ठंढ मे भी फ्रिज मे आइस क्यूब ज़माती ज़िन्दगी.
कंकपाती सर्दियों मे सौ रंग दिखाती ज़िन्दगी
जूझ कर, उम्मीद से, अलमस्त होकर जीना बताती ज़िन्दगी.
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