Thursday, January 22, 2009

नहुष के अंश

''क्यों रूका जब दूर तक दिखता नहीं आसार
आज तेरा आत्म तुझको खुद रहा धिक्कार
ओ ! नहुष के अंश तू क्यों शोक संतप्त ?
डबडबाई आंखों से दिखता कहां संसार "

1 comment:

Unknown said...

shabd sangathan anootha hai