Friday, January 23, 2009

वक्त का हमसफ़र

वक्त के साथ चलता रहा हूँ मैं
खुशी के हर पल पे मचलता रहा हूँ मैं
पल पल हर कदम आगे बढूंगा मैं
किसी भी मुश्किल में न पीछे हटूंगा मैं
वक़्त के हर पहलू को मैंने समझ लिया
वक़्त को ही मैंने हमसफ़र समझ लिया

1 comment:

Unknown said...

vaah akhir vaqt ne tujhe likhna sikha dia
blog pe hunar dikhane ka rasta bata dia