मिलना कोई जरूरी तो नहीं
बात करना भी कोई जरूरी तो नहीं
मिल के भी नहीं मिल पाये वो हमसे
फ़िर भी दिलों में कोई दूरी तो नहीं
उनकी हर एक बात है याद हमें इबादत की तरह
उनसे दूर जाने के लिए
उनकी यादों को मिटाना जरूरी तो नहीं
हर तरफ़ बिखरा है जो खुशबू की तरह
उसका ख़ुद आना जरूरी तो नहीं
हर वक्त करूँ प्यार का इज़हार
ऐसी भी क्या मजबूरी है
जो बात झलकती हैं आंखों से
उसे शब्दों में बताना जरूरी तो नहीं
वो भले ही भूल जायें हमको
पर हम उन्हें याद भी न आयें
ये जरूरी तो नहीं
जानता हूँ कि न मिल पाएंगे वो अब मुझको
पर मैं उन्हें पाने कि ख्वाहिश भी न
मेरी कोई मजबूरी तो नहीं
न कर पाए वो वफ़ा हमसे
जरूर कोई मजबूरी रही
होगीपर मैं उनसे बेवफाई करूँ
मेरे प्यार में ऐसी कोई कमजोरी तो नहीं
न मिल पाया मेरे प्यार को किसी रिश्ते का नाम न सही
मेरे इश्क के मुक्कमल होने के लिए
ज़माने की मंजूरी ज़रूरी तो नहीं
1 comment:
good
nice thought .
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