Friday, August 7, 2009

मैं इंतज़ार आज भी किया करता हूँ

मै इंतज़ार आज भी किया करता हूँ
उस पहली बारिश का
साथ चाय पीने की उस गुज़ारिश का
कैंटीन की उस चाय का
उन जूठे समोसों का
उस खामोश हंसीं का
उस मिलने की बेकरारी
और न मिल पाने की बेबसी का
मैं इंतज़ार आज भी किया करता हूँ
जादे की उस धूप का
गर्मी की उन शामों का
वक्त-बेवक्त मोबाइल पर आने वाले
उन मैसेजों का
उन बेचैन रातों का
उन हडबडाहट से बाहरी सुबहों का
मैं इंतज़ार आज भी किया करता हूँ
साथ देखी उस पहली पिक्चर का
तेरी उस पहली छुअन का
तेरी उन छोटी-छोटी शरारतों का
तेरे पहली नज़र का
तेरे पहलूँ में गुज़रीं हुई शामों के उस मंज़र का
तेरे साथ बीते उस सफ़र का
मैं इंतज़ार आज भी किया करता हूँ
ये जानते हुए भी कि ये इंतज़ार
सिर्फ एक इंतज़ार रह जायेगा
बीता हुआ वक़्त फिर कभी लौट कर नहीं आयेगा
ये इंतज़ार मुझे ताउम्र तड्पाएगा
मैं तेरा इंतज़ार आज भी किया करता हूँ

1 comment:

Anonymous said...

hummm...seems you are in deep love.