Saturday, September 6, 2008

एक संदेश

बस अपनी धुन मे रहता हूँ,
अपनी बात सुनाता हूँ,
जीवन के हर इकपल को मैं
मस्ती से जीता जाता हूँ,
कुछ खुशियाँ हैं, तो कुछ गम भी हैं,
कुछ खोया है कुछ पाया है,
इस छोटी सी दुनिया मे धूप छांव का साया है।
पर किसे फिकर,न कोई डर,
क्या कुछ होने वाला है,
मंजिल कि खोज मे निकल पड़ा जो,
वो राही तो मतवाला है।
अब नयी मंजिलें छूनी हैं,
कुछ रचने नए फ़साने हैं,
छोड़ पुरानी बातें हमको,गाने नए तराने हैं।
पग पग आगे बढ़ना है,
बाधाओं से लड़ना है,
भूली बिसरी यादें ले संग,नए दौर मे चलना है।
हर तरफ़ जहाँ हों फैली खुशियाँ,
गम का जहाँ न मिले निशां,
इक ऐसी दुनिया रच डालें हम,
जहाँ हो सबका बस इक जहाँ।
बस यही संदेशा देने सबको,दूर गाँव से आया हूँ,
अमन,शान्ति और विश्व बंधुत्व का एक संदेशा लाया हूँ।

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