Thursday, December 31, 2009

वर्ष २००९ के अंतिम पहर मे कुछ लिखने के लिए मन मचल रहा है. इसलिए कड़कती ठंढ मे भी मैं कीबोर्ड पर अपनी उंगलियाँ चला रहा हूँ. अभी कुछ ही देर पहले मैं अपने कमरे पर लौटा हूँ. बहार कड़कती ठंढ पद रही है. गाड़ी चलते वक्त सामने कुछ सूझ नहीं रहा था. फिर भी लोग नए साल के आगमन कि खुशियाँ मन रहे थे.वैसे मैं आने वाले नए साल के बारे मे तो नहीं जनता पर ०९ का अंतिम दिन मेरे लिए ख़राब ही गुज़रा अंतिम कुछ घंटो मे मैंने वर्ष का अपने साथ हुई अंतिम दुर्घटना भी झेली पर फिर भी मुझे ख़ुशी है कि सब कुछ सामान्य रहा.वर्ष भर का अनुभव कहाँ तक याद किया जाये पर कहते हैं न अंत भला तो सब भला. मैं भी इश्वर का शुक्रगुजार हूँ कि तमाम सारी मुश्किलों के बाद भी मैं सलामत हूँ और ज़िन्दगी कि लड़ाई लड़ने मे समर्थ हूँ. मेरे लिए यह इश्वर का सबसे बड़ा आशीर्वाद है कि उसने मुझे जीवन मे अपनी लड़ाई लड़ने मे सक्चम बनाया है. हर बार जब मेरे साथ कुछ गलत होता है भगवान् को कोसता हूँ फिर सोचता हूँ कि आखिर इससे भी ज्यादा गलत हो सकता था वह क्यों नहीं हुआ और मुझे सुकून मिलता है. नव वर्ष का आगमन हो चूका है. सब एक दूसरे को बधाइयाँ दे रहे हैं. पर मैंने अभी तक किसी को भी बधाई सन्देश नहीं भेजा है. मैं समझ नहीं पता हूँ कि सारी दुनिया क्यों एक ही दिन सब खुशियाँ मन लेना चाहती है. क्या ऐसा हो सकता है कि हम हर दिन थोड़ी थोड़ी करके खुशियाँ मनाएं. खैर चोदिये कहाँ से सुरु हुआ मेरी बैटन का सफ़र कहाँ तक पहुँच गया. अब मुझे भी ब्लॉग के सभी पाठकों को नववर्ष कि शुभकामनायें देनी हैं. वो दुनिया कि रीत पर कुछ तो करना ही पड़ता है. किसी गाने कि लाइने याद आ गई- दुनिया मे गर आये हो तो जीना ही पड़ेगा, जीवन है अगर ज़हर तो पीना ही पड़ेगा.
खैर आप सब को नववर्ष मुबारक हो

आप सब सोच रहे होंगे कि एक बधाई सन्देश के लिए इतना लिखने कि क्या ज़रुरत थी. दोस्तों हर साल इसी तरह सुरु होता है ज़िन्दगी कटती जाती है. हम उसी रस्ते चलते जाते हैं. साल ले अंत तक पता ही नहीं चलता कि ज़िन्दगी कि कहानी कहाँ से शुरू होकर साल के अंत मे किस मोड़ पर पहुँच गई. जैसा उपर मैंने कुछ भी लिखना शुरू किया और एंव वर्ष कि बढ़ी तक पहुँच. उसी तरह इस साल भी जहाँ हैं वहीँ से शुरू हो जाइये अंत तक बढियां और शुभकामनाओं तक पहुन्व्ह ही जायेंगे.
शुभ रात्रि

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