Sunday, February 14, 2010

फिल्म बतकही

दो दिन पहले मैंने शाहरुख़ कहाँ कि हालिया रिलीज़ फिल्म माय नेम इज कहाँ देखी. बेशक फिल्म सफलता के झंडे गाड रही हो पर एक फिल्मकार कि नज़रों से देखने पर शाहरुख़ और कारन जौहर को सोचना चाहिए कि दर्शकों को कब तक चलताऊ भावनाओं पर आधारित फ़िल्में बेचते रहेंगे. पूरी फिल्म मे अपने अभिनय से शाहरुख़ निराश करते हैं. कहानी के नाम पर क्या कुछ है मैं समझ नहीं सका. हाँ कहते हैं न कि हर फिल्म मे कुछ न कुछ होता है तो ढूँढने पर वह कुछ आपको मिल सकता है. पर इसके लिए दर्शक इतने पैसे खर्च करे यह सही नहीं होगा. काजोल  कुछ दृश्यों मे अपनी छाप छोड़ती हैं. बाकी सब सामान्य ही है. कुछ दृश्यों मे खूबसूरत लोकेशन दिखाई देती हैं. संगीत औसत कहा जा सकता है. मैं इतना बड़ा पारखी तो नहीं पर फिल्म के लिए इन्ते पैसे खर्च करने पर निराश ज़रूर हूँ.

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