Monday, March 31, 2008

एक सच्चा अनुभव

पिछले दिनों जब विभाग मे कुल संदेश को हमारे शिक्षकों द्वारा संवारा जा रहा था , कुछ सिखने के लिए मैं और हर्ष देर तक विभाग मे रुकने लगे, उन दो - तीन दिनों मे मुझे काफी कुछ सीखने को मिला। सबसे मजेदार बात सीखने को मिली की किस तरह से आप बड़े ही संयम से गलतियाँ खोज कर उन्हें सुधारते जाते हैं। जिस काम को मैं अब तक इतना आसान समझ रहा था अब पता चला की वो निहायत ही धीरज और सब्रका काम है। मैंने सीखा किस तरह घंटों बैठना पड़ता है एक एक पेज को छापने लायक बनने के लिए । अब मैं जान चुका हूँ की कितनी मेहनत करके निकलता है कुल संदेश।

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