जीजस!
हर युग मे तुम्हें सलीब ही दी जायेगी,
क्योंकि दुनिया को तुम सलीब पर टंगे ही
अच्छे लगते हो
इसके बाद
न्याय का नाटक खेला जाएगा
कथित प्रायश्चित के आंसू तपकेंगे
और
सब कुछ शांत हो जाएगा
तालाब मे फेंके गए कंकड़ की तरह,
थोडी हलचल, फ़िर सब कुछ निश्छल
तुम्हारा संदेश ले जाने वालों के साथ भी
यही किया जाएगा, क्योंकि उन्हें
विरासत मे मिली है ,तुम्हारी पीड़ा
क्या इसीलिए दी थी अपनी जान तुमने ?
धर्म की आड़ मे लपलपाती जीभ लिए
घूम रहे हैं रोज़ गीदड़ ...
घोंट देंगे गला तुम्हारे त्याग का
कानो के परदे फाड़ फाड़ कर चीखेंगे चिल्लायेंगे
धर्म ध्वजा लहराएंगे
और
gaar denge उसे तुम्हारी कब्र पर !
तुम्हारे अगले आगमन की प्रतीछा मी
सलीबें तैयार की जाएँगी
मानवता रोएगी, कराहेगी ,
लेकिन तुम रुकोगे कब,
तुम too आते ही रहोगे
her युग मी
शान्ति का सदेश लेकर।
द्वारा:बी. पांडेय
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