सफर को जब किसी दास्ताँ मे रखना
कदम यकीन मे मंजिल गुमांन मे रखना
जो साथ है वाही घर का नसीब है पर
जो खो गया है उसे भी मकान मे रखना
चमकते चाँद सितारों का क्या भरोसा है
ज़मीन की धूल भी अपनी उडान मे रखना
सवाल बिना मेहनत के हल नाही होते
नसीब को भी मगर इम्तहान मे रखना।
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1 comment:
कौशल जी
अच्छा लिखा है। यही सही और सुन्दर जीवन का मंत्र है।
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