Wednesday, May 14, 2008

एक सीख

सफर को जब किसी दास्ताँ मे रखना
कदम यकीन मे मंजिल गुमांन मे रखना
जो साथ है वाही घर का नसीब है पर
जो खो गया है उसे भी मकान मे रखना

चमकते चाँद सितारों का क्या भरोसा है
ज़मीन की धूल भी अपनी उडान मे रखना
सवाल बिना मेहनत के हल नाही होते
नसीब को भी मगर इम्तहान मे रखना।

1 comment:

शोभा said...

कौशल जी
अच्छा लिखा है। यही सही और सुन्दर जीवन का मंत्र है।