Tuesday, July 15, 2008

मुस्कराने की कोशिश कर रहा हूँ

अब मैं बहुत थक गया हूँ
हालाँकि चला नहीं हूँ बहुत मगर
फ़िर भी जाने क्यों इस मोड़ पर ठिठक गया हूँ
याद कुछ मैं करने की कोशिश कर रहा हूँ
बीती हुई कल की यादों से
आज के खालीपन को भरने की कोशिश कर रहा हूँ
शब्द जो मुरझा गए हैं
उनमे फ़िर से रंग भरने की कोशिश कर रहा हूँ
जिस आग के शोले ठंडे पड़ गए थे
वही आग फ़िर से जलाने की की कोशिश कर रहा हूँ
लड़ना तो नहीं चाहता हूँ मगर
लड़ना पड़ रहा है
क्योंकि सदियों से सोए हुए इंसानों को
जगाने की कोशिश कर रहा हूँ
नहीं बदल सकता दुनिया को न सही
खुद को तो बदल सकता हूँ
न चले कोई मेरे साथ न सही
मैं अकेला ही नए रास्ते बनाने कि कोशिश कर रहा हूँ
फ़िर से नए ख्वाब सज़ाने की कोशिश कर रहा हूँ
अब मैं फ़िर से मुस्कराने की कोशिश कर रहा हूँ





1 comment:

Anonymous said...

bhut sundar. muskurane ki koshish mat kariye mushkura lijiye.