कौन है वो
जो जिन्दगी के साथ निभा के भी खुश है
कौन है वो
जो अपनों को आज़मा के भी खुश है
कौन है वो
जो अपने आप से नज़रे मिला के भी खुश है
कौन है वो
जो हर गम भुला के भी खुश है
कौन है वो
जो बीती बातों को भुला के भी खुश है
कौन है वो
जो ज़माने को अपना बना के भी खुश है
कौन है वो
जो रिश्ते बना के भी खुश है
कौन है वो
जो हर मंजिल को पा के भी खुश है
सच तो यह है कि
हैं नहीं जहाँ में कोई भी ऐसा
जो हर खुशी पा के भी खुश है
Thursday, July 17, 2008
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1 comment:
बहुत बढिया.
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